बुधवार, 16 अप्रैल 2014

मांडवी

तुलसीदास जी ने रामायण में
मांडवी के त्याग और विरह
वेदना का उल्लेख नहीं किया

उन्होंने केवल सीता के त्याग
और लक्ष्मण के भ्रातृ प्रेम का
ही प्रमुखता से वर्णन किया

मैथली शरण गुप्ता ने भी
साकेत में मांडवी के त्याग
को महत्त्व नहीं दिया

उन्होंने केवल उर्मिला की
विरह वेदना का ही
उल्लेख किया

सीता को तो वन में रह कर भी
अपने पति के साथ रहने का
अवसर मिला

लेकिन मांडवी को तो अयोध्या
में रह कर भी पति के सामीप्य
का सुख नहीं मिला

भरत चौदह साल तक परिवार
से दूर जंगल में पर्ण- कुटी
बना कर अकेले रहे

फिर इतिहास में मांडवी के
त्याग को सीता के त्याग से
कमतर क्यों आंका गया ?

मांडवी की विरह वेदना को
उर्मिला की विरह वेदना से
कमतर क्यों समझा गया ?

एक दिन फिर कोई
तुलसीदास जन्म लेगा
फिर कोई मैथली शरण आयेगा

जो मांडवी के दुःख दर्द को
नए आयाम और
नए अर्थों में लिखेगा।


























स्वर्गलोक से भूलोक में चली आई गंगा

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