मै इस देश की
सीमा पर तैनात एक
अदना सा सिपाही हूँ
देश की
रक्षा करते हुए
आज शहीद हो गया हूँ
मैंने अभी तक
जीवन के पुरे नहीं
किये हैं तीस बसंत
पच्चीस बर्ष
की उम्र मे ही जीवन
का हो गया अंत
मै जानता हूँ
मेरे लिए कोई
शोक सभा नहीं होगी
कोई मौन
नहीं रखा जाएगा
कोई झंडा नहीं झुकेगा
यहाँ तक कि
मेरे गाँव में मेरा कोई
स्मारक भी नहीं बनेगा
एक सिपाही की
मौत से किसी को क्या
फर्क पडेगा ?
हाँ ! फर्क पडेगा
मेरे बच्चों को जिनका
मै बाप था
मेरी पत्नी को
जिसका मै पति था
मां को जिसका मै बेटा था
और .....कल के
अखबार के कोने मे
एक छोटी सी खबर छपेगी
कश्मीर घाटी में
आतंकियों से मुकाबला करते
तीन सिपाही शहीद।
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