बुधवार, 16 अप्रैल 2014

विषमता

पेट भरते ही पक्षी दाना 
 छोड़  कर उड़ जाते हैं    
      वो भविष्य की नहीं सोचते 
     केवल वर्तमान में जीते हैं 

इंसान वर्तमान में नहीं
 भविष्य में जीता है और
  आने वाले कल की चिंता
सबसे पहले करता है   

 इसी कारण पक्षियों में   
आज भी समानता है     
और इन्सानों में अमीर   
गरीब जैसी विषमता है  

मानव को प्रकृती ने     
  खुले हाथों से दिया है      
  सबके लिए सामान        
रूप से दिया है              

         काश ! हम सब मिलझुल कर 
दुनिया में रह पाते        
    दुनिया से इस विषमता  
   को मिटा पाते  .              

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