पेट भरते ही पक्षी दाना
छोड़ कर उड़ जाते हैं
वो भविष्य की नहीं सोचते
केवल वर्तमान में जीते हैं
इंसान वर्तमान में नहीं
भविष्य में जीता है और
आने वाले कल की चिंता
सबसे पहले करता है
इसी कारण पक्षियों में
आज भी समानता है
और इन्सानों में अमीर
गरीब जैसी विषमता है
मानव को प्रकृती ने
खुले हाथों से दिया है
सबके लिए सामान
रूप से दिया है
काश ! हम सब मिलझुल कर
दुनिया में रह पाते
दुनिया से इस विषमता
को मिटा पाते .
को मिटा पाते .
\
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें