बुधवार, 16 अप्रैल 2014

होली खेले


नया करे
कुछ इस होली में 
 तन-मन सब रंग जाये

गले लगाए
हर साथी को
राग द्वेष सब मिट जाये


गीत लिखे
कुछ ऐसा जमकर
सब के मन को भा जाये


भर दे प्यार
सभी के दिल में  
जीवन उत्सव बन जाये


 सतरंगी
रंगों में घुल कर 
 सबकी साँसों में महके 

भेद-भाव
के रंग मिटा कर
मानवता से चहरे चमके


 स्नेह-प्यार
का घट भर कर
सब के संग खेले होली


जैसे कान्हा ने 
वृन्दावन  में
राधा के संग खेली होली। 

























































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