बुधवार, 16 अप्रैल 2014

समै रो जथारथ

घर सूं कागद आवंतो जणां 
सात समाचार लिख्योडा आवंता
बदलाव समै रो
लोग कागद लिखणो ही भूलग्या
,ई'मेल स्यूं आधा आखर लिख"र ही
काम काढबा लागग्या

तीज त्योंहार आयां घर-आंगणा मांय 
हिरमिच-गेरू का मांडणा मांडता
चालगी आन्थूणी  पून 
अब प्लास्टिक का स्टीकर लगा' र  ही
 काम काढबा लागग्या

ब्याव-सावै पीळा चावल देंवता
मान-मनवार स्यूं बूलावंता 
अब तो प्रीत-प्रेमरी बात ही कोनी
 सीधा मोबाइल पर मेसेज भेज'र  ही
काम काढबा लागग्या

मरणै-खरणे री खबर सुण्या
सगळ गाँव का लोग भेळा हुंवता
समै रो जथारथ
अब तो लोग मूंडो दिखा'र  ही
 काम काढबा लागग्या

मिलता जणा जै रामजीकी कैवंता
 दुःख-सुख की दो बात पूछता 
अब तो नुवीं हवा रा लहरका सरणाट बेवै
लोग-बाग़ हाय-हल्लो कर ही
काम काढ़बा लागग्या

उन्याला में गाँवतरा स्यूं कोई आँवतो जणा
 भर बाटको छाछ -राबडी घाळ ता
 पी'र  कालजो तिरपत हुज्यातो
अब तो एक कप चाय पकड़ा'र  ही
  काम काढ़बा लागग्या

होली दियाली एक दूजा के घरां  जांवता
जणा बडोड़ा ने पांवाधोक देंवता
टाबरियाँ न लाड़ करता
अबै नै की आणी नै की जाणी
सगला लैपटॉप में ही सिमटण लागग्या।









































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