एक देगची
चावल दो
नहीं पके
तीन दिन वो
चार कबूतरोंतीन दिन वो
को बुलवाया
पाँच दिनों तक
पानी भरवाया
छः चिडियाँ
पानी भरवाया
छः चिडियाँ
बिनने को बैठी
पंखा झलवाया
आठ चूल्हों
पर उसे चढ़ाया
नौ मन लकड़ीपर उसे चढ़ाया
हाथी लाया
देख रहे थे
दस -दस बच्चे
दस -दस बच्चे
फिर भी चावल
रह गए कच्चे
रह गए कच्चे
कृष्णा ने सबको
को समझाया
को समझाया
पाठ पढ़ाया।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें