बुधवार, 16 अप्रैल 2014

आयशा उठो -आँखे खोलो


आयशा !
उठो आँखे खोलो
देखो कौन-कौन
आया है
सूरज तुमको
उठाने के लिए
   खिड़की से झांक रहा है

किरणें तुमको
उठाने के लिए
   पायल खनका रही है

चिड़ियाँ तुमको
उठाने के लिए
मधुर गीत गा रही हैं 

गुलमोहर तुम्हारे
कदमो के लिए
सुर्ख फुल बिखेर रहा है

मोगरा तुम्हारी
साँसों में बस जाने
के लिए महक रहा है

सभी कायनात  
तुम्हारी आँखे खुलने  
के इन्तजार में है

आयशा उठो
अब अपनी
आँखे खोलो।























































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