बुधवार, 16 अप्रैल 2014

एक नन्ही परी


एक नन्ही परी सी 
गुलाब की कली सी
अपनी भाषा में कुछ बोलती 
हँसती मुस्कराती मधु घोलती

एक नन्ही परी  सी
मिसरी की डली सी
लघु पांवों पर खडी होती
पकड़ खाट थोड़ी  चलती

एक नन्ही परी सी
प्यारी राजदुलारी सी 
दिन में किलकारियां भरती
गोदी में अठखेलियाँ करती 
   
एक नहीं परी सी
हँसती सूरजमुखी सी
  अति कोमल नाजुक सी
  भोली-भाली  गुड़िया सी

एक नन्ही परी सी
 प्यारी छुई-मुई सी
बाहर जाने को खूब मचलती
 जाकर बाहर खुश  हो जाती 

एक नन्ही परी सी
  कोई नहीं आयशा सी।  
























































































































































  

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें