एक नन्ही परी सी
गुलाब की कली सी
अपनी भाषा में कुछ बोलती
हँसती मुस्कराती मधु घोलती
एक नन्ही परी सी
मिसरी की डली सी
लघु पांवों पर खडी होती
पकड़ खाट थोड़ी चलती
एक नन्ही परी सी
प्यारी राजदुलारी सी
प्यारी राजदुलारी सी
दिन में किलकारियां भरती
गोदी में अठखेलियाँ करती
एक नहीं परी सी
हँसती सूरजमुखी सी
अति कोमल नाजुक सी
अति कोमल नाजुक सी
भोली-भाली गुड़िया सी
एक नन्ही परी सी
प्यारी छुई-मुई सी
बाहर जाने को खूब मचलती
जाकर बाहर खुश हो जाती
कोई नहीं आयशा सी।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें