बुधवार, 16 अप्रैल 2014

दादी रो टूंणो


दादी जाणती
टुंणो  करणो
गांव में आँधी आंवती
जणा रोक देवंती आंधी ने
कर देती टुंणो

टाबरिया धूळरा बतूळा
देखता र भाजता
दादी कनै अर केंवता
दादी आँधी आवै है
बेगो कर टुंणो

दादी ल्याती बुवारी
अर ऊपर मैळती भाटो
राळती बाजरी का आखा
सींच देती कलस्य स्यूं पाणी
अर कर देती टुंणो

टाबरियां रो
बिसवास हो दादी
अर दादी रो बीसवास हो
आपको  टुंणो

जे कदास
आँधी आ ज्याती तो
दादी केती बाळणजोगी पेळी
बड़गी कांकड़ में,नहीं जणा'स 
कर देतो जापतो म्हारो टुंणो।









































































































































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