घणो सौवणो सावण लागे
सौणा तीज तिवांर रे
उमट कळायण बरसै बादल
मन हरसावै रे
सावण आयो रे
ऊँचा डालै हिंडो घाल्यो
सखियाँ हींडो हींड रे
घूँघट मांही पळका मारै
लड़ली लुमाँ झुमाँ रे
सावण आयो रे
सोन चिड़कल्या करै किलोळां
गीत पपीहा गावै रे
पीऊ पीऊ कर बोले मोरियो
छतरी ताणे रे
सावण आयो रे
फुर-फर करती उड़े लूघड़ी
पवन चले पुरवाई रे
झिरमिर-झिरमिर मेहा बरसे
गौरी मूमल गावै रे
सावण आयो रेमैह मोकळो अबकी बरस्यो
जबर जमानो हौसी रे
हळीया ने हाथा में पकड्यां
छेलौ तेजो गावै रे
सावण आयो रे।
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