रविवार, 22 जून 2014

जीने का मजा आ गया

तुम्हारे साथ अब कुछ भी नामुमकिन सा नहीं लगता 
अब तो आसमान के तारों को गिनने का भी मन बन गया है। 

आज कल न जाने क्यों सब कुछ ख़ास सा लगता है 
चीजे तो वही है लेकिन जीने का मजा आ गया है। 

कभी चाहत थी हर ख़ुशी मेरी हो 
लेकिन तुम्हारा साथ पा कर बाँटना आ गया है। 

अब शब्दों  का इस्तेमाल क्यों करे हम 
जब आँखों से सब कुछ कहना आ गया है।  

प्यार तो सभी करते है लेकिन 
हमें कर के निभाना आ गया है।  

तुम्हारा मुस्कराना और मेरी झुकती आँखों का सलाम 
पचास वर्ष साथ जीने का मजा आ गया है। 

हीर-राँझा की जगह अब हमारे प्यार की चर्चाऐ हैं 
तुम्हारी सांसो की महक से हवाओं का रुख भी बदल गया है। 

(हमारी शादी के पचास वर्ष २० मई २०१४ को पुरे हो रहे हैं, इसी ख़ुशी में वेलेनटाइन डे पर शब्दो के कुछ फूल मैंने उसकी झोली में रखे। ) 







































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