रविवार, 22 जून 2014

गाँव का कुआँ






गाँव के कुए में
जब तक पानी रहा

पुरे गाँव के घरों में
मूणं, मटका, घड़ा भरा रहा

पनिहारिने सज-धज कर
पानी लाने जाती रही

पायली झंकार से गाँव की
गलियाँ जंवा होती रही

लेकिन जब से नल आया
गाँव की रौनक चली गयी

पनघट के पीछे गाँव की
गलियाँ भी सुनी हो गयी

अब तो पानी भी नलो में
बूंद- बूंद कर के आता है

गाँव वालों के दिलो में
अगन सी लगाता है

मचा हुआ है गाँवो में
पानी के लिए हाहाकार

न जाने कब आएगी गाँवों मे
फिर से पानी की बहार।

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