मेरी चाहत थी
इसी जीवन में
सब कुछ पाने की
नहीं चाहत थी
अगले जन्म में
फिर कुछ पाने की
तुम मुझे मिली
मानो गुलशन में
बहार आई
मेरी राहों के कांटे
पलकों से उठाये
तुमने
मुझे अम्बर तक
उठने का अहसास
दिया तुमनें
अपनी हँसी संग
मुझे मुस्कराहट
दी तुमने
जीवन के पचास
बसंत साथ बिताये
तुमने
चंद शब्दो मे कहूँ
जीवन में सब कुछ
दिया तुमने।
इसी जीवन में
सब कुछ पाने की
नहीं चाहत थी
अगले जन्म में
फिर कुछ पाने की
तुम मुझे मिली
मानो गुलशन में
बहार आई
मेरी राहों के कांटे
पलकों से उठाये
तुमने
मुझे अम्बर तक
उठने का अहसास
दिया तुमनें
अपनी हँसी संग
मुझे मुस्कराहट
दी तुमने
जीवन के पचास
बसंत साथ बिताये
तुमने
चंद शब्दो मे कहूँ
जीवन में सब कुछ
दिया तुमने।
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