कोलकता के
विक्टोरिया मेमोरियल
का हरा भरा मैदान।
सुबह का समय
साइड वाक पर घुमते
लोगो का हुजूम।
कटेली चम्पा के
फूलो से वातावरण का
महकना।
फूलो का अपना
अस्तित्व कायम रखने की
हर संभव कोशिश करना।
तभी क्रूर हाथो का
बढना पेड़ की तरफ और
तोड़ लेना फूल को।
तोड़ लेना फूल को।
दो-चार हाथों मे से
निकलना फुल का और
नोच डालना पंखुड़ियों को।
कर डालना उसकी
गंध और कोमलता को
तहस-नहस।
इन्सान की हवस से
फुल के अस्तित्व का
चिर-हरण।
कटेली चम्पा के
अन्तर से दुखोच्छवास
का छुटना।
फूल जो पेड़ का सौंदर्य है, उसकी सोभा है, लेकिन विक्टोरीया में घूमते लोग कटेली चम्पा के पेड़ पर लगे फूल को ढूँढ कर तोड़ लेते है। थोड़ी देर फूल दो चार हाथो में घूमता है और फिर नोच कर डाल दिया जाता है, पांच मिनट में फूल का अस्तित्व समाप्त हो जाता है।
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