गुरुवार, 26 जून 2014

बादल फट पड़े

१७ जून को देवभूमि में तांडव मचा
बादल क्या फटे मौत कहर ढा गयी।
                          कच्चे  मकानों  की क्या बात करे
                          चार चार मंजिले इमारते बह गयी।

अलकनंदा-मंदाकिनी  है पुरे उफान पर
कोई थमने का कही नाम नहीं ले रही है।
                   पुरे गाँव और शहर पानी में बह गए है
                   आसमानी कहर को धरती झेल रही है।

उतराखण्ड में ऐसा तांडव कभी नहीं हुवा
जल कुलांचे  भर रहा था हिरण की तरह ।
                  क़यामत का मंजर और तमतमाई लहर
                  मकान गिर रहे थे तास के पत्तो की तरह।

अभावग्रस्त पार्वत्य समाज बेहाल हो गया
नदी किनारे बसा जीवन बरबाद हो गया ।
                   दिल दहलाने वाला बना तबाही का मंजर
                    होटले, मकान,दुकान, सब कुछ बह गया।

मुक्ति के प्रतिक तीर्थो में  भ्रमण करते
लाखो तीर्थयात्री जगह -जगह फसं गए।
                     हजारो की संख्या में मरे,हजारो घायल हुए
                      गाडिया,बसे और बुलडोज़र सभी बह गए।

चारो और सुनाई दे रही थी खौपनाक चीखे
दिख रहा था मलबे में दबी लाशो का मंजर।
                      देव भूमि में ऐसा विनाशकारी बरपा कहर
                      लील गयी सब कुछ रस्ते में उफनती लहर।

हमें इस चेतावनी को समझना होगा
ग्लोबल वार्मिंग को कम करना होगा।
                      परमाणु हथियारों का प्रसार रोकना होगा
                       नहीं तो  फिर इसी  तरह  से मरना होगा।

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