फ्रांसिस !
तुम पिछले जन्म में
जरुर मेरी कोई मीत
रही होगी
रही होगी
या किसी जन्म में हम
एक दूजे के संग
रही होगी
रही होगी
दुनिया के एक छोर पर मैं
दुसरे छोर पर तुम
फिर कैसा मिलन ?
यह कैसा रिश्ता जो सात
समुद्र पार भी करा
देता है मिलन ?
तुम रात-रात भर अस्पताल
में बैठी मेरे लिए
प्रार्थना करती रही
जैसे कोई करता अपनो के लिए
तुम मेरे लिए
करती रही
अस्पताल से तुम मुझे
अपनी ड्रीमी* से
घर लाती रही
घर पर भी कभी फूल
तो कभी गुलदस्ता
लाती रही
लाती रही
जब भी आती कार्ड लाती
जिसमे बोलती तुम्हारे
दिल की धड़कनें
दिल की धड़कनें
कागज़ के हवाई जहाज
बना कर लाती हवा में
उड़ाने मेरी अड़चनें
उड़ाने मेरी अड़चनें
एक दूजे की भाषा से
अनभिज्ञ फिर भी
अनभिज्ञ फिर भी
करती बातें
सात समुद्र पार के
रिश्ते भी आत्मा की
गहराई तक उत्तर जाते।
*ड्रीमी एक विंन्टेज कार थी १९४५ का मॉडल, बहुत सुन्दर कार, जिसमे बैठ कर जब भी निकलते कम से कम १०-२० गाड़ियां अपना हॉर्न बजा कर हमारा अभिवादन करती और रास्ते चलते हाथ हिला कर हमें बॉय कहते।
सात समुद्र पार के
रिश्ते भी आत्मा की
गहराई तक उत्तर जाते।
*ड्रीमी एक विंन्टेज कार थी १९४५ का मॉडल, बहुत सुन्दर कार, जिसमे बैठ कर जब भी निकलते कम से कम १०-२० गाड़ियां अपना हॉर्न बजा कर हमारा अभिवादन करती और रास्ते चलते हाथ हिला कर हमें बॉय कहते।
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