बुधवार, 2 जुलाई 2014

तुम्हे मुस्कराते देखा होगा

तुम्हारा साथ है तभी तक यह जान है
तुम्हारे बिना मौसमे-बहार का भी क्या होगा

तुम्हारे जाने से लगा तनहा जीना आसन नहीं
तुम लौट कर आवोगी तभी मौसमे-बहार होगा

मेरे कानो के पास से जब भी गुजरती है हवाए
कहती है मत धबराओ तुम्हारा प्यार खरा होगा

तुम्हारे जाने से वीरान है ये आँखे
तुम लौट कर आओगी तभी मधुमास होगा

बीत गए कितने ही दिन तुमको गए हुए
उठती है एक हूक दिल में कुछ खलता होगा

मुझे पता है बादल भी यू ही नहीं बरसता
जरुर किसी की याद में आँसू बहा रहा होगा

महीनो बाद आज तुम लौट कर आयी हो
तुम्हे देख घर का कोना-कोना महका होगा

हँस पड़े बगिया के फुल जैसे ही तुम घर में आई
चराग भी खुद जल उठै,तुम्हे मुस्कराते देखा होगा।

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